आम तौर पर हम सभी ऐसा कह देते है की ओ भाई साहेब आप
में इन्सानियत है की नही,पर हम स्वयं अपनी बात करें की क्या
हम में भी इन्सानियत है तो इस का अन्दाजा हमें स्वयं के कुछ
लक्षणों से हो जायेगा कि:-
क्या हम दूसरों के दुःख में स्वयं भी वैसा ही दुःखी महसूस करते
हैं -----???
क्या हम दूसरों की उन्नति में स्वयं दूसरों जितना हर्षित या अति
-खुश महसूस करतें हैं-----???
क्या हम किसी भी तरह के ख़ुशी के मौकों या त्योहारों पर असहाय
या आर्थिक-निर्धनों की किसी भी तरह की मदद के लिए या उनके
चेहरों पर भी छोटी अथवा बड़ी खुशी देने के लिए दिल से उत्साहित
होतें है-----???
अगर हाँ--- तो इससे बड़ी इन्सानियत की कोई बात
नहीं हो सकती, अगर ना ---तो फिर हमें भी किसी को इन्सानियत
पाठ पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं***
{ प्राथर्ना :-आज हम सब को सारी दुनिया के इसानों को एक सूत्र
से बाँधने के लिए और इन्सानियत की इस टूटी हुई
माला को फिर से इन्सानियत की डोरी में प्यार भरे
दिल से पिरोने की और एक सुनहरे भविष्य के निर्माण
के लिए अति-अति आवश्यकता जरूरत है------धन्यबाद }
में इन्सानियत है की नही,पर हम स्वयं अपनी बात करें की क्या
हम में भी इन्सानियत है तो इस का अन्दाजा हमें स्वयं के कुछ
लक्षणों से हो जायेगा कि:-
क्या हम दूसरों के दुःख में स्वयं भी वैसा ही दुःखी महसूस करते
हैं -----???
क्या हम दूसरों की उन्नति में स्वयं दूसरों जितना हर्षित या अति
-खुश महसूस करतें हैं-----???
क्या हम किसी भी तरह के ख़ुशी के मौकों या त्योहारों पर असहाय
या आर्थिक-निर्धनों की किसी भी तरह की मदद के लिए या उनके
चेहरों पर भी छोटी अथवा बड़ी खुशी देने के लिए दिल से उत्साहित
होतें है-----???
अगर हाँ--- तो इससे बड़ी इन्सानियत की कोई बात
नहीं हो सकती, अगर ना ---तो फिर हमें भी किसी को इन्सानियत
पाठ पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं***
{ प्राथर्ना :-आज हम सब को सारी दुनिया के इसानों को एक सूत्र
से बाँधने के लिए और इन्सानियत की इस टूटी हुई
माला को फिर से इन्सानियत की डोरी में प्यार भरे
दिल से पिरोने की और एक सुनहरे भविष्य के निर्माण
के लिए अति-अति आवश्यकता जरूरत है------धन्यबाद }